प्रकाशकीय वक्तव्य

 

इस खण्ड में मुख्यतया श्रीअरविन्द के बारे में, अपने बारे में, श्रीअरविन्द आश्रम, ओरोवील, भारत और भारत से इतर राष्ट्रों के बारे में माताजी के संक्षिप्त लिखित वक्तव्य हैं । सन् १९१४ से १९७३ तक के लगभग साठ वर्ष के अन्तराल में लिखे ये वक्तव्य उनके परिपत्रों, सन्देशों और शिष्यों के साथ पत्रव्यवहार से संकलित किये गये हैं । इनमें से लगभग साठ प्रतिशत अंग्रेजी में लिखे गये थे, शेष फ्रेंच में ।

 

       खण्ड में अनेक वार्ताएं भी दौ गयी हैं । वे अधिकतर ओरोवील वाले भाग में संग्रहीत हैं । एक वार्ता को छोड्कर शेष सब फ्रेंच में दी गयी थीं । माताजी की टिप्पणियों के कुछ मौखिक विवरण भी हैं । ये विवरण कुछ शिष्यों ने स्मृति के आधार पर लिख लिये थे और बाद में प्रकाशन के लिए माताजी को दिखाकर उनकी अनुमति ले लौ गयी थी । ये सब माताजी ने अंग्रेजी में कहे हैं । इन विवरणों के आगे यह चिह्न दिया गया हैं ।

 

    खण्ड को विषयानुसार छ: भागों में सजाया गया है । हर भाग में कई उपविभाग हैं । उपविभागों में तारीखवाले वक्तव्यों को कालक्रमानुसार रखा गया है और बिना तारीखवालों को विषयानुसार ।

 

   ध्यान रहे कि अधिकतर वक्तव्य अमुक व्यक्तियों को अमुक परिस्थितियों मैं लिखे गये थे । इनके द्वारा दिया गया सन्देश सब पर लागू नहीं भी हों सकता ।

 



   

     मेरे वचनों को एक शिक्षा के रूप में न लो । वे हमेशा क्रियाशील शक्ति होते हैं जिन्हें एक निश्चित उद्देश्य के साथ कहा जाता हैं और उन्हें उस उद्देश्य से अलग कर दिया जाये तो वे अपनी सच्ची शक्ति खो बैठते हैं ।

- श्रीमां